भाभी को टिकटोक बनाने के बाद देवर ने चोदा उसे घर में ही

मैंने जल्दी से अपना नाड़ा खोल कर इस तरह थोड़ा सा बांध दिया कि आसानी से खुल सके। अंकल दरवाज़ा बंद करके आये। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.थोड़ी देर बाद हाथ फिरा का मेरा नाड़ा भी खोल दिया। अभी सलवार उतारने के लिए मुझे फिर अंकल की मदद करनी जरुरी थी। अंकल ने मेरी सलवार को नीचे खिसकाना चालू किया तो मैं थोड़ा सा ऊपर हो गई ताकि मेरी सलवार आसानी से उतर सके। अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी।अंकल का लंड भी बहुत बड़ा और कड़ा हो गया था जो कि मेरे बदन, जांघ से तथा मेरे हाथ से छू रहा था। अंकल कभी मेरी ब्रा में हाथ डालते तो कभी मेरी पैंटी में ! XXX Hindi नहीं तो बिल्ली आकर सब दूध पी लेगी। अंकल जल्दी से उठ कर दरवाजा बंद करने चले गए. मैं अब तरपने लगी थी। अब अंकल ने अपने होंट मेरे होंठों पर रख दिए और मुझे चूमने लगे। अब मैंने भी अपनी आँखें खोल दी और उनको चूमने लगी।अंकल ने पूछा- यह तुमको अच्छा लग रहा था?मैंने कहा- बहुत अच्छा लग रहा था।उन्होंने बोला- अब मैं जो करूँगा वो तुम्हें बहुत ज्यादा मजा देगा।उन्होंने मेरी ब्रा और पैंटी उतार दी। फिर अपनी लुंगी भी खोल दी। उनका लंड एकदम कड़ा और लम्बा था।फिर उन्होंने मुझे पूछा- वैसलीन या घी

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