मुझे तो बहुत आराम हो गया… खाने बनाने से आज छुट्टी मिली।”शाम गहराने लगी थी, बादल घने छाये हुये थे… लग रहा था कि रात हो गई है। बादल गरज रहे थे… बिजली भी चमक रही थी… लग रहा था कि जैसे मेरे ऊपर ही गिर जायेगी। पर समय कुछ खास नहीं हुआ था। कुछ देर बाद मैंने और अनुग्रह ने भोजन को गर्म करके खा लिया।मुझे लगा कि लकी की नजरें तो आज मेरे काले पाजामे पर ही थी। मेरे झुकने पर मेरी गाण्ड की मोहक गोलाइयों का जैसे वो आनन्द ले रहा था। मेरी उभरी हुई छातियों को भी वो आज ललचाई नजरों से घूर रहा था। मेरे मन में एक हूक सी उठ गई।मुझे लगा कि मैं जवानी के बोझ से लदी हुई झुकी जा रही हूँ… मर्दों की निगाहों के द्वारा जैसे मेरा बलात्कार हो रहा हो। मैंने अपने कमरे में चली आई। बादल गरजने और जोर से बिजली तड़कने से मुझे अन्जाने में ही एक ख्याल आया… मन मैला हो रहा था, एक जवान लड़के को देख कर मेरा मन डोलने लगा था।“अनुग्रह भैया… यहीं आ जाओ… देखो ना कितनी बिजली कड़क रही है। कहीं गिर गई तो?”“अरे छोड़ो ना दीदी… ये तो आजकल रोज ही गरजते-बरसते हैं।”ठण्डी हवा का झोंका, पानी की हल्की फ़ुहारें… आज तो मन को डांवाडोल कर रही थी। मन में एक अजीब
>
गाँव की देसी बहू की गर्म कहानी
Actors:
Rina Karki
Related videos














