भाभी और देवर का डॉगी स्टाइल में गर्म मिलन, कुछ अलग में चुदाई का मजा, हिंदी में गंदी बातें

बेकार से…पर अर्पिता के पत्ते इस बार भी कमाल के थे…उसके पास पान का कलर आया था… दुष्यंत ने फिर से पत्ते बाँटे और फिर से उन्हे पलट कर सीधा किया…इस बार भी अर्पिता के पास इकके का पेयर आया… वो फिर से पत्ते बाँटने लगा.अर्पिता : “ये तू कर क्या रहा है…मुझे भी तो बता ज़रा…”दुष्यंत : “रूको दीदी. और जो उसने सामने देखा, उसे अपनी आँखो पर विश्वास नही हुआ.. हिंदी XXX अगले दिन आने का वादा करके, उनके जाते ही अर्पिता बोली : “तुमने ऐसा क्यो बोला…माँ को दवाई और इंजेक्शन तो दे ही चुके हो..और हम एक गेम भी तो जीत ही चुके थे..”दुष्यंत : “दीदी…वो गेम जो हमने जीती थी, उसमे पत्ते बड़े ही बेकार आए थे…वो तो शुक्र है की उन दोनो ने भी पेक कर दिया, वरना वो गेम भी हम हार जाते…”अर्पिता : “पर तुमने तो कहा था की कल वाले कपड़े पहन कर आओ, तो जीत जाएँगे…मैने तो पहले ही कहा था की ये सब तुक्का था…कल और बात थी…आज खेलने में सब सामने आ गया…”दुष्यंत उसकी बाते सुनता रहा…और कुछ देर चुप रहने के बाद बोला : “दीदी …. रात के समय हॉस्पिटल मे किसी के भी रहने की मनाही थी..वैसे भी देखभाल के लिए नर्सेस रहती ही थी..इसलिए अर्पिता भी घर आ जाती थी..घर पहुंचकर उसने अपना लोवर और एक हल्की सी टी

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