अभी तक सोफिया को मुझ पर काफी भरोसा हो गया था, इसलिये वो तैयार हो गयी मगर पूछा कि किधर जाना है?मैं चूँकि मेस में रहता था और वहाँ एक औरत को नहीं ले जा सकता था। इसके अलावा कराची में एक ही काबिल-ए-एतमाद दोस्त था। वो काफी अमीर था और उन दिनों मुल्क से बाहर गया हुआ था। मैंने थोड़ा सोचा और उसको होटल में रुकने का सुझाव दिया। पहले तो वो घबरायी क्योंकि हम फौज के लोगों के पीछे आई-एस-आई काफी होती है।इसलिये उसने मुझे डराया, मगर मैंने उसको तसल्ली दी कि तुम कहीं भी ये ना शो करना कि तुम आर्मी में हो। खैर आल्लाह का नाम लेकर हम लोग मेट्रोपोल पर मौजूद सर्विसेज मेस में आ गये। मैंने वहाँ जाने से पहले सोफिया को कहा कि चादर पहन ले और एक पर्दे वाली बीवी का रोल करे।पर्दे में होने से उसकी साँसों में मौजूद रम की महक भी किसी को नहीं आयेगी। मैंने रिसेपशन पर जाकर अपना कार्ड दिखाया और कहा कि ये मेरी वाईफ है, कराची एक काम से आयी है, इसलिये अभी मुझे फैमली वाला रूम चाहिये। फ्रैंड्स, हो सकता है कि आप लोगों को आर्मी के एक कैप्टेन की अहमियत मालूम हो, इसलिये उस हवलदार ने कोई दूसरी बात नहीं की बल्कि एक फ़ॉर्म लाया।मैंने सिर्फ फोरमैलटी के तौर पर उल्टा सीधा नाम और मालूमात
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जंगल में चुदाई की मालिश
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