ऐसी सुंदरता, ऐसी मादकता, महकता छरहरा बदन, जरा भी कहीं चर्बी नही, मैंने वंदना मैडम को सीने से लगा लिया।उनके होंठों का दीदार किया और अपने होंठों को उनके होंठों से 1 2 3 बार टकराया फिर उनके होंठ पिने लगा। मैडम भी सोच रही होंगी की क्या मस्त भंवरा मिला है जो उनकी ओस की एक एक बूंद पूरी तन्मयता से पी रहा है। यारो, मैं जीवन में ये दृश्य कभी नही भूलूंगा। मैं उनके होंठ अपने मुँह से भर भरके पिने लगा। हम दोनों ही गरम हो गए थे।मैडम! हिंदी XXX मैंने कहा.अगले ही पल मुझे एक तेज तमाचा अपने गाल पर मिला। मैडम बिना कुछ कहे घर चली गयी। उस रात मैं जान गया कि वंदना मैडम अब मुझे कभी पढ़ाने नही आएंगी। वो अगले 7 दिन जब मेरे घर पर पढ़ाने नही आयी तो मेरी माँ ने उनको फ़ोन किया। वंदना मिस ने कहा कि मैं उनके घर जाकर पढ़ लूँ।डरते डरते मैं अगले दिन शाम 5 बजे उनके घर गया। दरवाजा खुला था। मैं अंदर गया। वंदना मैडम ने आज भी क्रीम कलर की शिफॉन की साड़ी पहन रखी थी। दोंस्तों बिलकुल परी लग रही थी। आज भी वही स्लीवलेस ब्लॉउज़ था और आगे गहरा गला। पीठ तो समझिए बिलकुल नँगी थी।क्या तराशे हुए चुच्चे थे जो उनके ब्लॉउज़ ने बाहर की ओर झाँक रहे थे। एक बार फिर
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भारतीय गर्म मिल्फ का मोहक नशा
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