भारतीय डॉक्टर के कमरे में गर्म मुलाकात

साले ऐसे थपकी लगायेगा तो पानी तो निकलेगा ही।”पण्डितजी ने पुछा “क्या ख्याल है जाप पूरा करवाओगी चौधराइन।”चौधराइन ने पण्डित सूर्यप्रकाश की तरफ़ घूर के देखा और उनका फ़ौलादी लण्ड झपटकर अपनी चूत की तरफ़ खीचते हुए बोलीं “पूरा तो करवाना ही पडेगा साले पण्डित अब जब तूने आग लगा दी है तो।”चौधराइन के लण्ड खींचने से पण्डित अपना सन्तुलन सम्हाल नहीं पाये और चौधराइन के ऊपर गिरने लगे। सम्हलने के लिए उन्होंने चौधराइन के कन्धे थामें तो उनका मुँह चौधराइन के मुँह के बेहद करीब आ गया और लण्ड चूत से जा टकराया। बस पन्डित ने मुँह आगे बढ़ा उनके रसीले होठों पर होठ रख दिये और चूसने लगे। चौधराइन भी भी अपने बचपन के यार से अपने रसभरे होठ चूसवाते हुए उसका लण्ड अपनी चूत पर रगड़ रही थीं।पण्डित के हाथ कन्धों से सरक पीठ पर पहुँचे और चौधराइन के ब्लाउज के हुक खोलने लगी। ब्लाउज के बटन खुलते ही पन्डित सूर्यप्रकाश ने बड़ी फ़ुर्ती से ब्रा का हुक भी खोल दिया और ब्लाउज और ब्रा एक साथ कन्धों से उतार दी उनकी इस अचानक कार्यवाही से हड़बड़ा कर चौधराइन ने सीने के पास ब्रा पे हाथ रख उन्हें धकेलते हुए बोलीं – “अरे अरे रुको तो!”पन्डित सूर्यप्रकाश (झपट के ब्रा नोच उनके बदन से अलग करते हुए) –“अभी तो कह रहीं थी जल्दी करो, अब कहती हो रुको रुको।”झटके

भारतीय डॉक्टर के कमरे में गर्म मुलाकात

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