मैम आप प्लीज़ हमारे साथ पीछे खड़ी हो जाया कीजिये… प्लीज़!”मैंने कहा, “अच्छा ठीक है!” और वो चली गयी लेकिन मैं पूरा दिन टेंशन में रही और उस दिन का वाक़या याद करती रही। छुट्टी के बाद किसी तरह हिम्मत जुटा कर मैं पीछे जा कर खड़ी हो गयी। तकरीबन पूरा सफ़र आराम से कट गया और मैं भी इत्मिनान से हो गयी थी.लेकिन मेरा स्टॉप आने से तीन-चार मिनट पहले ही किसी ने फिर पीछे से मेरे चूतड़ों में हाथ दे दिया और इस दफ़ा अच्छी तरह एक झटके में मेरे चूतड़ों के बीचों-बीच नीचे से सरकाते हुए ऊपर तक ले गया। मैं एक दम से पीछे पलटी तो सभी लड़के इधर-उधर देख रहे थे और मुझे पता भी नहीं चला कि ये किसने किया है।सुहाना और फ़ातिमा भी मेरे साथ ही खड़ी थीं। उन्होंने पूछा, “तब़स्सुम़ मैम सब ठीक है ना?” उन लड़कियों के पूछने के अंदाज़ में मुझे फ़िक्र की बजाय तंज़ महसूस हुआ और ऐसा लगा जैसे कि उन्हें पता था कि मेरे साथ किसी ने क्या हरकत की है। “हाँ!” मैंने जवाब दिया।उस रात भी मैं ठीक से सो नहीं पायी। आज भी उन लड़कों की हरकत ने मेरे अंदर दबी हुई जिस्मानी हसरतें भड़का दी थी जो मैं बिल्कुल नहीं चाहती थी। ये मेरे तहज़िबे-इख्लाक़ के खिलाफ़ था लेकिन अपने जिस्म में उठती मीठी सी सनसनाहट
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