कितना बजट है संजय तुम्हारा?”संजय : “अगर दो-तीन हज़ार किराया भी होगा तो भी चलेगा!”जफ़र: “और हाँ… रूम के आसपास कोई अच्छा सा ढाबा भी हो तो मुनासिब रहेगा ताकि इसे खाने पीने की तकलीफ़ ना हो!”आबिद (थोड़ी देर सोचने के बाद बोला): “संजय अगर तुम चाहो तो मेरे घर में भी एक रूम खाली है ऊपर छत पर… बाथरूम टॉयलेट सब अलग है ऊपर… बस सीढ़ियाँ बाहर की बजाय घर के अंदर से हैं… अगर तुम्हें प्रॉब्लम ना हो तो… और रही खाने के बात तो तुम्हें मेरे घर पर घर का बना खाना भी मिल जायेगा… पीने की भी कोई प्रॉब्लम नहीं… है क्या कहते हो?”संजय: “जी आपका ऑफर तो बहुत अच्छा है… आपको ऐतराज़ ना हो तो शाम तक बता दूँ आपको?”आबिद के जाने के बाद संजय ने जफ़र से पूछा कि क्या आबिद के घर पर रहना ठीक होगा… तो उसने हंसते हुए कहा, “यार संजय तू आराम से वहाँ रह सकता है… वैसे तुझे पता है कि ये जो आबिद है ना बड़ा पियक्कड़ किस्म का आदमी है… रोज रात को दारू पिये बिना नहीं सोता… वैसे तुझे कोई तकलीफ़ नहीं होगी वहाँ पर… बहुत अच्छी फ़ैमिली है और तुझे घर का बना खाना भी मिल जायेगा!”शाम को संजय अपने ऑफिस से निकल कर आबिद के ऑफ़िस में गया जो प्लैटफ़ोर्म के दूसरी तरफ़ था और आबिद
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