दोपहर के खाने के लिए कामवाली एक दिन पहले ही बना के जाती थी. हिंदी XXX दोपहर के खाने के लिए कामवाली एक दिन पहले ही बना के जाती थी. अब ऋषभ ने आव देखा न ताव, और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया.कन्धों पे से ब्रा के पट्टे हट गए और मेरे दोनों उन्नत कठोर वक्ष अपने बन्धनोंसे से मुक्त हो गए. मैं भी उसके साथ अपने आप को सुरक्षित पाती थी. एक दिन रात के ग्यारह बजे तक हम पढ़ रहे थे. Beautiful Girl XXXमेरे कई लड़के दोस्त हैं मगर किसी को भी मैंने ज्यादा भाव नहीं दिया था. फिर शाम को घर लौट कर पढ़ाई और रात का खाना भी साथ में ही खाते थे. मुंबई सेन्ट्रल कब आया पता ही नहीं चला.फिर से कॉलेज, पढ़ाई और प्रोजेक्ट का काम चलने लगा. भोजन बनाने के लिए और घर का काम करने के लिए एक कामवाली भी थी. जाते जाते मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “ऋषभ, क्योंकि बाथरूम बैडरूम के अंदर हैं इसलिए मैं दरवाजा खुला ही छोड़ देती हूँ.” थोड़ी ही देर में फिर से बादलों का गरजना फिर शुरू हुआ, मैं तुरंत बाहर आयी और ऋषभ को नींद से जगाया.“तुम अंदर आ जाओ मुझे बहुत डर लग रहा हैं. मैंने उसकी ओर हाथ हिलाकर हाय कहा. उसने मुझे बाहों में लेकर मेरे सर को प्यार से सहलाया.
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