गाँव की देसी लड़की का शहर में जंगली चुदाई का मज़ा

मैंने कपड़े नहीं पहने हैं और तुम्हारे भैया दूध पी रहे हैं तो मैं नहीं जा सकती,तुमने कपड़े पहने हैं तो तुम जाकर दूध ले लो !तो मैं उठ कर दूध लेने चली गई। मैंने दूध वाले से दूध लिया और रसोई में आकर दूध को गर्म करने के लिए गैस पर रख दिया।तो फिर भाभी ने भैया को अपने से अलग किया और कहा- बस करो, कुछ दूध मिनी के लिए भी रहने दो। सारा दूध तुम ही पी लोगे तो मैं मिनी को क्या पिलाऊँगी, मैं तुम्हारे लिए चाय बना देती हूँ, तुम चाय पी लो।मिनी उनकी बेटी का नाम है।और भाभी चाय बनाने लगी, तब उनकी बेटी की रोने की आवाज आने लगी तो भाभी ने मुझसे कहा- नव्या तुम चाय बना दो, मैं मिनी को दूध पिला कर आती हूँ, उसे भूख लगी होगी।भाभी चली गई और मैं चाय बनाने लगी। मैं चाय बना रही थी कि भैया मेरे पास आए और मुझे पीछे से ही अपने आप से चिपका लिया और मेरी कमर में हाथ डाल कर मेरी गर्दन को चूमने लगे। मुझे उनका लंड मेरे नितम्बों के बीच की दरार में महसूस हो रहा था जो कुछ हद तक खड़ा हो चुका था पर पूरा खड़ा नहीं हुआ था।वो एहसास मुझे बहुत अच्छा लग रहा था पर मैंने भैया से कहा- छोड़ो मुझे, अभी चाय तो

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