गाँव की भाभी का जंगल में बेहया जिस्मानी मज़ा

कर रहा था तो उसी दौरान मेहविश की शादी हो गई।उसके सुसराल वाले चूँकि मुल्तान के पास एक गाँव में रहते थे इसलिए शादी के बाद मेहविश हमारे गाँव से रुखसत हो कर अपने शोहर के साथ मुल्तान में रहने लगी। अब जिन दिनों मेरा लौड़ा किसी औरत की फुद्दी में जाने के लिए तडप रहा था तो उनी दिनों मेहविश अपने माँ बाप को मिलने अपने गाँव वापिस आई तो उस दौरान वो मेरी बहन तरन्नुम को भी मिलने हमारे घर चली आई।उस दिन मैं भी इतफ़ाक से डेरे से जल्दी घर वापिस आ गया था। इसलिए तरन्नुम के साथ मेहविश के साथ मेरी भी मुलाक़ात हो गई। मैंने उस दिन मेहविश को तक़रीबन दो साल बाद देखा तो उस को देखती ही मैं उसके हुस्न का दीवाना हो गया। मेहविश शादी के इन दो सालों में लड़की से एक भरपूर औरत बन चुकी थी।उसकी कमीज़ में से उसके गोल गोल मोटे मुम्मे बहुत ही मज़ेदार नज़र आ रहे थे। जिनको देखते ही मेरे मुँह में पानी आ गया था। जबकि मेहविश की शलवार में पोषीदा उस की लम्बी गुंदाज राणों को देखते ही मेरा लौड़ा उस की राणों के दरमियाँ मौजूद चूत के बारे में सोचकर एकदम मेरी शलवार में हिलने लगा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.तरन्नुम और मेहविश हमारे घर के सेहन

गाँव की भाभी का जंगल में बेहया जिस्मानी मज़ा

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