और मैं भी आपका इंतजार करते करते सो गई थी।उनका मुंह खुलते ही दारू की बदबू आई, उन्होंने कहा- वो दोस्तों के साथ कब रात बीत गई.. मेरी समझ से परे था। उन्होंने मेरे जननांग को छूना चाहा और उनके छूने के पहले ही उसमें सरसराहट होने लगी, मेरे सीने के पर्वत कठोरतम होने लगे, मैं शर्म से लाल होकर चौंकने की मुद्रा में लंहगे में घुसे हाथ को पकड़ कर निकालने लगी।उन्होंने हाथ वहाँ से निकाल तो दिया, पर तुरंत ही दूसरा पैंतरा आजमाते हुए, मेरे उरोजों को थाम लिया। मैं अब समझ चुकी थी कि आज मेरी जिन्दगी की सबसे हसीन रात की शुरूआत हो चुकी है, पर मुझ पर शर्म हावी थी, तो उन्होंने कहा- जान अब शरमाना छोड़ कर थोड़ा साथ दो ना..!तो मैंने आँखें खोल कर उनकी आँखों में देखा और झिझक से थोड़ा बाहर आते हुए मस्ती से उनकी गर्दन में अपनी बांहों का हार डालकर उन्हें अपनी ओर खींचा और उनके कानों में कहा कि जनाब सल्तनत तो आपको जीतनी है, हम तो मैदान में डटे रहकर अपनी सल्तनत का बचाव करेंगें। अब आप ये कैसे करते हैं आप ही जानिए।इतना सुनते ही उनके अन्दर अलग ही जोश आ गया.. हिंदी XXX तभी मुझे अपने कंधे पर किसी के छूने का अहसास हुआ, मैं चौंक कर पलटी तो देखा कि कोई और नहीं..
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देसी दिल्ली वाली गर्म दिदी के साथ जंगली चुदाई का मजा
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