ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.वह मुझसे भी बड़ा हरामी और चोदू था। उसने अपनी कमर जोर से चलानी शुरू की। 10 मिनट चोदते-चोदते जब सर थक गया, तो उन्होंने मुझे अपने ऊपर बैठने को कहा। मैं तुरंत उठी, और थोड़ा सा थूक लेकर उसके लंड के टोपे में लगाया। उनका लौड़ा हाथों से पकड़ कर अपनी बुर के छेद में सेट करके उसपे धीरे-धीरे बैठने लगी।जैसे-जैसे उनका मूसल लंड मेरी बुर के अंदर घुसता जा रहा था, वैसे-वैसे ही मेरा चरम सुख सातवें आसमान में पहुंचता जा रहा था। मुझे इतना मजा आ रहा था, कि मैं अपनी आंखें बंद करके बस उस लंड के घुसने का मजा ले रही थी। मैं लगातार धक्के मारती रही, और मेरी चीखें निकलती रही-मैं: आहहह उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह उउम्म्म बेबी मजा आ रहा है, और चोदो, और तेज चोदो, बेबी जोर से धक्के मारो ना, आआआह हहह आहह!ऐसे ही चुदते और चुदाते हम दोनों का 2 मिनट बाद एक साथ पानी निकल गया। उसने पूरा पानी मेरी बुर के अन्दर भर दिया। जैसे ही पानी अन्दर गया, मैंने कस कर उसको बांहों में जकड़ लिया। निढाल होकर मैं उसकी छाती के ऊपर गिर गई, और मेरी बुर से पानी निकल कर उसका पूरा लंड गीला हो गया। बुर से पानी निकल कर उसकी जांघों से होकर बहने
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भारतीय उत्तेजक प्रेरणा
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