यह तो बहुत बड़ा है।”“पकड़ ले इसे मेरी जान।”कहते हुए मैंने उसके हाथ को अपने लंड पर रख दिया। उसके बदन को पहली बार नंगा देख कर तो लंड ज़ोर से उछलने लगा। चूची ऐसी मस्त थी कि पूछो मत। चूत पर बाल इतने अच्छे लग रहे थे कि मेरे हाथ उसकी तरफ़ बढ़ ही गये। क्या गरम चूत थी।उंगली आहिस्ता से अंदर घुसाई। रस बह रहा था और उसकी बुर गीली हो गयी थी। गुलाबी गुलाबी बुर को उंगलियों से अलग किया, और मैंने अपना लंड आहिस्ता से घुसाया। हाथ उसकी चूचियों को मसल रहे थे। मुँह से उसके होंठों को मैं चूस रहा था।“आह, साहबजी, आहिस्ता, लग रहा है।”“रानी मज़ा आ रहा है?”“साहबजी, जल्दी करिये न जो भी करना है।”“हाय मेरी जान, बोल क्या करूं?”“डालिये न। कुछ करिये न।”“रानी, बोल कया करूं।” कहते हुए मैंने लंड को थोड़ा और घुसाया।“अपना यह डाल दीजिये।”“बोल न, कहा डालूं मेरी जान, क्या डालूं।”“आप ही बोलिये न साहबजी, आप अच्छा बोलते हैं।”“अच्छा, यह मेरा लंड तेरी चिकनी और प्यारी बुर में घुस गया। और अब ये तुझे चोदेगा।”“चोदिये न, साहबजी।”उसके मुँह से सुन कर तो लंड और भी मस्त हो गया।“हाय रानी, क्या बुर है तेरी, क्या चूची है तेरी। कहां छुपा कर रखा था इतने दिन। पहले क्यों नहीं चुदवाया।”“साहबजी, आपका भी लंड बहुत मज़ेदार है। बस चोद दीजिये जल्दी से।”और उसने अपने
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