चोद रही थी… और आँचल मस्ती से सिसकारियां भर रही थी।वो बोली, “बस अब रुक जा… अब तेरी बारी है… लेट जा… अब मैं तुझे मसलती हूं.”आँचल के ऐसे कहने भर से मेरी चूत में पानी भरने लगा… पहला अनुभव बड़ा रोमांचक होता है। मुझे बिस्तर पर लिटा कर उसने मेरे स्तनों को मसलना चालू कर… पर उसका मसलने का प्यारा अनुभव था। वो जानती थी कि मज़ा कैसे आता है। उसने सबसे पहले मेरी गाण्ड में थूक लगा कर उसे चिकना किया और अपनी एक उंगली धीरे से घुसा दी..फ़िर उसने धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया। पहले तो मुझे अजीब सा लगा… पर बाद में मीठा मीठा सा मज़ा आने लगा। अब उसने मेरी गाण्ड में दो उंगलियां घुसा दी थी… और मेरी गाण्ड के छेद को घुमा घुमा कर चोद रही थी। मैंने अपनी आंखें बंद कर ली। अचानक मुझे लगा कि मेरी गाण्ड के छेद में लण्ड जैसा कुछ घुस गया है। मैंने तुरन्त सर उठा कर देखा…तो आँचल बोली, “लेटी रहो… ये किसी मर्द का लण्ड नहीं है… यह तो डिल्डो है…”उसने लण्ड और अन्दर सरका दिया… मुझे दर्द होने लगा…“आँचल इस से तो दर्द होता है … निकाल दे इसे…”“हां हां.. हिंदी XXX प्लीज़.”मेरा मन तो कर रहा था कि वो मुझे खूब दबाये.
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