जल्दी से चोद दो मुझे!!” तृषा पलके झपकाकर कहने लगी.तृषा अपनी जींस की बटन खोलने लगी। फिर अपनी गुलाबी पेंटी उतार दी। उसकी चूत मैंने देखी। बिलकुल भरी हुई गुलाबी चूत। हल्की हल्की झांटे थी पर जादा नही थी। मैं झुक गया और पास से तृषा की बुर का दीदार करने लगा।कुछ देर तक उसकी चूत की खूबसूरती को निहार रहा था। इतनी देर से उसके साथ जो मजे लूट रहा था इस वजह से तृषा की चूत अपना घी/ मक्खन छोड़ रही थी। मैंने उसकी चूत में ऊँगली डाली और घी को लेकर मुंह में लेकर चाटने लगा। तृषा की भोसड़ी का मक्खन नमकीन था। फिर मैंने ऐसा २ ३ बार किया।अब मुझे ये घी का कटोरा पूरा पीना था इसलिए मैं झुक गया और मुंह लगाकर उसके गुलाबी भोसड़े को चाटने लगा। तृषा “….उंह उंह उंह हूँ.. XXX Hindi .अई… उ उ उ उ उ…करने लगी। मैंने कुछ धक्के और दिए तो लंड पूरा 8” जड़ तक उसकी गांड में दफन हो गया। दर्द से तृषा का बुरा हाल था।मैंने धीरे धीरे उसकी गांड मारना शुरू कर दी। “लगती है जयंत ओहह्ह्ह…ओह्ह्ह्ह…अह्हह्हह… वो कहने लगी। पर मैं अपने कामे में लगा रहा और गांड चुदाई करता रहा। काफी देर तक उसे मैंने दर्द दिया फिर गांड में ही झड़ गया। जब मैंने अपना लौड़ा निकाला तो सफ़ेद क्रीम से तृषा की भूरी
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