मेरे अंदर काफी सारे सवाल आ रहे थे मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की मैं अपनी बहु के साथ इतना कुछ कर सकूँगा वो भी इतनी जल्दी।बीते रात की बात सोच मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं जैसे तैसे वाक पूरा कर घर आ गया। दोपहर १ ओ कलॉक हम तीनो डाइनिंग टेबल पे बैठ कर लंच कर रहे थे। मेरे बगल में बहु वाइट कलर सलवार सूट पहन के बैठी थे और मेरे ठीक सामने दूसरी तरफ सूरजभान।हम सब कुछ-कुछ बातें कर रहे थे, मैंने बातो ही बातों में अपना एक हाथ बहु के जाँघो पे रख दिया। बहु ने तुरंत मेरा हाथ हटा दिया मैं फिर से बहु के जाँघ पे हाथ रख दिया और सहलाने लगा। इस बार बहु चुपचाप थी और अपनी नज़र झुकाये लंच करती रही।मै – बहु जरा रोटी देना एक और। (ऐसा कहते हुये मैंने अपना हाथ बहु के बुर के पास ले गया और जोर से दबा दिया.)हर्षिता – ये लिजीये बाबू जी। (बहु ने एक नज़र सूरजभान को देखा)मै – *डबल मीनिंग में* वह बहु। तुम्हारी रोटी कितनी गरम और फूली हुई है। (मैं बहु की बुर वाइट सलवार के ऊपर से सहलाते हुये कहा।)बहु मेरा इशारा समझ रही थी की मैं रोटी की नहीं उसकी फूलि हुई और गरम बुर की बात कर रहा हू।हर्षिता – हाँ बाबूजी
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भारत में मज़ेदार रात
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