मैंने उसकी भरी हुई जांघ पर हाथ लगाया और उसका पेटीकोट उपर सरकाने लगा।मस्ती का ज्वार छा रहा था मेरे लौड़े को और सीधा एक बार हाथ लगाने की देर थी, जैसे पानी डालो तो गड़ढे में गिरता है वैसे ही मेरा हाथ फ़िसलते हुए उसके टांगों के बीच चूत के होटो तक जा पहुंचा। उसकी नकली कराह सिसकारी में बदल चुकी थी। यही तो चाहती थी वो रांड्।मैंने उसकी आंखों मे गहरा झांका तो लाल डोरे तैर रहे थे और वो अब स्माईल मार रही थी। मेरे लौड़े के उपर उसकी जीत पर यह मुस्कान घमंड से भरी थी्। मैंने उसे कुर्सी पर से उठा कर टेबल पर रख दिया। अब वो खुद ही मेरी जींस से मेरे लंड के उपकरण को निकालने लगी थी।इसी हथियार से उसे अपनी गांड तहस नहस करवानी थी और चूत की बैँड बजवानी थी। मैंने उसका पेटीकोट केले के छिलके की तरह उठा दिया। अब मेरे सामने उसकी काले बालों वाली चूत नग्न थी। उफ़्फ़ वो सुगंधित थी, उसकी अच्छी बास मेरे नथुनों में घुस रही थी और मैंने अपना लंड का सुपाड़ा उसके पकड़ से निकाला।हल्का सा उसकी रसभरी अन्नानास जैसी चूत पर रगड़ा और फ़िर उसके मुह में देने के लिये उसे टेबल पर लिटा दिया। वो अपने चूत के रस से लिपटे सुपाड़े को चूसने के लिये बेताब दिखी। जैसे ही उसने
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हिंदी में गीले झांटों वाली भोसड़ी को चोदने का अलग ही मज़ा है
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