मैं कोई अंधा तो हूँ नही। जैसे ही मिश्रा अंकल अपनी नौकरी पर चले जाते है फिर नये नये मर्द आपके घर में रोज आते है और ३ ३ ४ ४ घंटे बाद बाहर निकलते है। अब आप उन मर्दों के साथ तबला तो बजाइंगी नही!!!” मैंने कहा.“राजीव बेटा, वो सब मोटा पैसा खर्च करते है। तब मैं उनको अपनी रसीली बुर चोदने के लिए देती हूँ!!” आंटी बोली.“आंटी मेरे पास भी पैसा है। आप मुझे चूत मारने को दे दो। मैं आपको पैसा दे दूंगा!!” मैंने कहा.उसके पास अगले दिन जैसे ही मिश्रा अंकल अपनी नौकरी पर गये मिश्रा आंटी ने मुझे अपने घर में बुला लिया। उसके बच्चे प्रियंका और राहुल स्कुल पढने गये हुए थे। इसी खाली समय में वो रोज नये नये मर्दों का लम्बा लम्बा लंड खाती थी और जमकर अपनी चूत चुदवाती थी। मेरा काम बन गया था।आज मैं अपनी बगल वाली आंटी को जी भरके चोदने खाने वाला था। मिश्रा आंटी मुझे अंदर बेडरूम में ले गयी। और हम दोनों बिस्तर पर जाकर लेट गये। मैंने आंटी को पकड़ लिया और होठो पर किस करने लगा। वो बहुत खूबसूरत और मस्त माल औरत थी। उनके चुच्चे तो बहुत बड़े बड़े थे।धीरे धीरे वो नीचे चली गयी और मैं उनके उपर आ गया। हम दोनों लेटकर किस करने लगे। आंटी ने गुलाबी रंग की बड़ी गहरी
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गर्म मौसी का रंगीन मसाज
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