भारत की तपती गर्मी में सौतेले बेटे का तेज़ स्खलन

अकेले मैं तो तड़पती करवट लेती रही। अब सुबह आए हों दफ्तर जाने के समय?”मैंने कहा, “आज कोई दफ्तर नहीं जा रहा.”और ये बोल उसे बाहों में भरा और अंदर उसके बेडरूम में ले गया। मैं इतना उत्तेजित था कि एक पल नहीं रुक पाया और उसकी चोली और लहंगा उतार दिया। उसे ऊपर से नीचे चूमा फिर जी भर कर उसके दुध दबाये। वो सिसकियाँ ले रही थी। “आह, आह…” और एक हाथ से मेरा लंड सहला भी रही थी।थोड़ी देर बाद वो बोली, “प्रीतम अब और मत तड़पाओ। अंदर डाल दो ना अब जानेमान।”ये बोलते बोलते उसने मेरा लंड अपनी चुत की ओर किया और अंदर डालने का रास्ता दिखाया। मैंने बिना पल गंवाये सीधा एक बार में अपना 7 इंच का मोटा लंड पूरा अंदर घुसा दिया। उसकी हल्की सी चीख निकल गई तो मैंने माफ़ी मांगी गलती की।“माफ़ करना जान मैं बहुत ज्यादा उत्साहित हूं।”“कोई बात नहीं, जानेमन, मैं भी अब तुमसे और दूर नहीं रह सकती। अब में पूरी तरह तुम्हारी हूं। तुम चिंता मत करो दर्द की। तुम बस ये आग बुझा दो मेरे जिस्म की।”मुझे और जोश चड गया और मैं अपना मोटा लंड पूरी जोर से उसकी चुत के अंदर बाहर करने लगा। सीमा सिसकारी लेती रही। रात भर मैंने मूठ मारी थी। अब मेरा लंड इतनी जल्दी झड़ने वाला कहाँ था। काफी देर

भारत की तपती गर्मी में सौतेले बेटे का तेज़ स्खलन

Related videos