अब यह यहीं से ग्रेजुएशन करेगी…” महक का परिचय कराया; और महक की ओर मुड़ कर बोला “दिशा बेटी.. चलो चाय बनगयी है हॉल में चलते है…” कही और एक कप अंकल को थमाकर खुद एक ली और हाल में आकर सोफे पर बैठ गये। पहले की तरह धनेश ने महक को फिर अपने गोद में बिठाया…दोनों एक दूसरे को प्यार भरी नज़रों से देखते चाय पी रहे थे। पूरे एक महीने के बाद मिलने से महक में भी excitement थी। चाय पीकर कप साइड में रखे और धनेश ने महक की कमीज ऊपर उठाया और पहले उसकी ब्रा की चूचियों के ऊपर खींच कर उसके छोटे छोटे चूची पर हाथ फेरा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.“आआअह्हह्हह” अंकल कहते वह छटपटा रही थी। धनेश अपने सर झुका कर महक की चूची को पूरा मुहं में लिया और चुसकने लगा… महक ने अंकल की सर को अपने सीने से दबा लिया.“क्यों जानू…. हिंदी XXX यह बातूनी है.. उसे एक दो बार प्यार से चूमि और फिर अपने जीभ उस सुपाडे की गिर्द चलाते एक बार तो उसने उस पिशाब वाली नन्हे छेद में कुरेदी।“स्स्स्सस्स्स्स…महक..डियर..मममम…हहहहह…” कहते धनेश छटपटाया…“क्या हुआ अंकल…?” कहती महक ने उसकी वृषणों को हथेलि में लेकर मसलने लगी।“Saleeeeeeeee….” धनेश एक बार फिर गुर्राया।उसने अपने ऊपर झुकी महक के सलवार का नाडा खींचा तो सलवार उसके घुटन पर
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