समीक्षा क्या लड़की थी, उसके दो दो किलो के चूचे थे और गांड भी खूब भारी थी। उसी दिन मुझे लगा कि समीक्षा की चूत ही मेरे लंड की गर्मी को ठंडा कर सकती है। अगले दिन समीक्षा ने मुझे बताया कि उसे मोबाइल फ़ोन खरीदना है।कॉलेज से मार्केट काफी दूर था और मेरे पास बाइक भी नहीं थी। मैंने अपने दोस्त से पल्सर मांग ली। फिर क्या था, क्लास ख़त्म होने के बाद समीक्षा और मैं बाइक पर चल दिए। मैंने बाइक की स्पीड १०० से भी ऊपर कर दी और उसने मुझे कसकर पकड़ लिया.जैसे ही उसके नाजुक नाजुक हाथ मुझे छू रहे थे मेरी पूरी बॉडी में सनसनाहट दौड़ रही थी और मेरे लंड तो आज सारी हदें पार कर रहा था। उस वक़्त मुझे लगा कि अभी बाइक रोक कर उसे अपने लंड का स्वाद चखा दूँ। लेकिन मैंने अपनी भावनाओं को काबू में रखा।मुझे तो समुन्दर में तैरना था, नदी में नहाने में क्या रखा था। उस दिन बाइक पर जो तीस मिनट का सफ़र था, उसको रात को सोच कर मैं मुठ ही लगा रहा था कि समीक्षा का फ़ोन आ गया। अब मैंने समीक्षा से फ़ोन पर बात करते करते ही लंड से ऐसी पिचकारी छोड़ी कि वीर्य दो मीटर दूर जाकर गिरा।लेकिन आज की मुठ में और दिनों से अलग मजा था। अगले दिन
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भारतीय नाश्ते के समय बहन के साथ गर्म सेक्स का मजा
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