सबने खाना खा और दोपहर की नींद की तैयारी मे लग गये.पर फूफा तो बड़ी बेचैन नज़रों से चाची को ढूँढ रहे थे पर चाची दिखी नही. हिंदी XXX चाची ने फूफा का हाथ पकड़ा हुआ था और चेहरा नीचे झुकाए हुए थी, फूफा बड़े मज़े से चाची की चूतर को दबा रहे थे और उनकी आँखों मे देखने की कोशिस कर रहे थे.चाची: “मुझे नही पता, अप हाथ निकालिए..तिलक के दिन भी आपने बहुत बदमाशी की थी.”फूफा: “तिलक के दिन?..मुझे तो कुछ याद नही की मैने कुछ बदमाशी की थी आपके साथ..आप ही बता दीजिए क्या किया था मैने.”चाची: “उस दिन आपने!!…….मुझे नही कहना.”फूफा: “आरे तुम बताओगि नही तो पता कैसे चलेगा की मैने क्या बदमाशी की थी.”चाची: “आप सब जानते है पर मेरे मूह से ही सुनना चाहते.”फूफा: “सच मे मुझे कुछ याद नही..तुम ही बताओ ना?चाची: “उस दिन आपने….नही मुझे शरम आ रही है.”फूफा: “तो मैं कैसे मान लू कि मैने कुछ किया था.”चाची: “आप उस दिन मेरे पीछे चिपक के क्यूँ खड़े थे?”फूफा: “एक तो हमने आपकी मदद की और आप है की मुझे बदनाम किए जा रही हैं.”चाची: “वो तो ठीक है पर मदद करने के बहाने आप कुछ और ही कर रहे थे.”फूफा: “फिर वही बात..तुम कुछ बताओगि नही तो मुझे कैसे पता चलेगा की मैने क्या किया था.”चाची: “उस दिन आप ने मेरी कमर क्यूँ पकड़ी थी.”फूफा:
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