मुमताज ने अपने सीने पर हाथ रखते हुए कहा, “ये क्या कर रहे हैं, वकार साहब?” शर्म से उसकी गर्दन झुक गई.“प्लीज़ देखने दो, मुमताज.” मैंने उसके हाथ हटाते हुए कहा. हिंदी XXX मुझे डर था कि उसे पढ़ कर मुस्तफा अपना इरादा न बदल दे. चेहरे से किसी तरह नज़र हट भी जाए तो उसके सीने पर जा कर अटक जाती थी. मेरे होंठ चाय के प्याले के बजाय मुमताज के होंठों पर हों तो कैसा रहेगा! मैंने उसे कहा, “मुमताज, मेरी जान! ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.मुस्तफा ने वीडियो को रोक कर मेरी तरफ देखा और कहा, “तुम तो यकीनन मेरे सच्चे दोस्त निकले. तुम बस आराम से लेट कर इसका लुत्फ़ उठाओ.”मैंने मुमताज को फिर से लिटाया और इस बार मैंने उसकी चूत को अपने निशाने पर लिया. मैंने थोड़ी शर्मिंदगी से कहा, “शायद मैं गलत वक़्त पर आ गया हूं. ताक़त के साथ-साथ मेरे धक्कों की रफ़्तार भी बढ़ रही थी. उसका जिस्म बुरी तरह कांप रहा था. मुझे लगा कि मैं उसके बाकी कपडे भी पीछे से उतारूं तो उसे कम झिझक होगी. मुझे डर था कि उसे पढ़ कर मुस्तफा अपना इरादा न बदल दे. मेरा मुंह उसके गाल से उसके कान पर पहुँच गया और मैं अपनी जीभ से उसके कान को सहलाने लगा.साथ ही मेरा जिस्म अपने आप आगे-पीछे होने
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