खर्चा वहाँ से आता था लेकिन बिस्तर यहीं किसी और के संग सजाती थी दोनों!वैसे तो मैं काफ़ी छोटी थी जब एक लड़के ने मुझ पर हाथ फेरा था, तब मेरी छाती पर नींबू थे, उसका नहीं मेरा कसूर था, फिल्में देख देख मेरा भी मन फ़िल्मी बन गया था। वो बेचारा तो मुझसे भागता था मगर मैं उसके पीछे पड़ गई हाथ धोकर.जब उसका जवाब नहीं मिला तो एक दिन मैं उसके घर चली गई। वो मेरा पड़ोसी था, अकेला घर था, मैंने उसका कालर पकड उसको खींचा और कहा- लड़का है या पत्थर? XXX Hindi मैं खुले आम लड़कों को लाइन देती थी, सभी मेरी इस अदा के दीवाने बन गए।कुछ ही दिनों में अनारों के आम बन गए वो भी तोतापरी, क्यूं कि तोतापरी आगे से तिरछे होते हैं, मेरे चूचूक भी तोतापरी बन गए थे। हम तीन सहेलियाँ थी, जब अकेली बैठती तो एक दूसरी की स्कर्ट उठवाकर चूतों को देखती। गुड़िया और दीपा की चूत मेरी चूत से थोड़ी अलग थी, उनकी झिल्ली बाहर दिखने लगी थी, वहीं मेरी झिल्ली लटकती नहीं थी।तभी हमारे स्कूल में मर्द स्पोर्ट्स टीचर आये, पहले हमेशा कोई औरत ही उस पोस्ट पर आती थी। उस को नई-नई नौकरी मिली थी, बहुत खूबसूरत था, स्मार्ट था, हम लड़कियों ने उसका नाम चिपकू डाल दिया क्योंकि वो किसी न किसी मैडम से बतियाता रहता था।उधर
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सोतेली बहन ने सोतेले भाई से चुदवाई अपनी चूत हिंदी सेक्स
Actors:
Mst Srite
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