मैडम बोली।फिर एक दिन मैंने उनको अकेले में पाकर उनका हाथ पकड़ लिया। आज भी मैडम ने शिफॉन की पीली साड़ी पहनी हुई थी। आगे और पीछे से उनका ब्लॉउज़ काफी गहरा था। उनका सोने का मंगलसूत्र उनके क्लीवेज के बीचों बीच फसा था। हल्के पीले पारदर्शी ब्लॉउज़ के अंदर से कसे और तरासे चुच्चे बाहर झाँक रहे थे।पंखा चलने से मैडम का आँचल बीच बीच में उड़ जाता था तो उनकी गोरी चिकनी कमर , उनका सपाट पतला पेट और उनकी बेहद मादक मदमस्त कर देनी वाली नाभि दिख जाती थी। दोंस्तों, भगवान कसम खा के कहता हूँ की बस यही मन करता था कि इनको एक बार गिरा के चोद लूँ, फिर चाहे जेल ही ना हो जाए। बस दोंस्तों इसी कश्मकश में मैंने मैडम का हाथ पकड़ लिया।ये क्या है संचित?? हिंदी XXX प्रिन्सिपल ने मेरी माँ से कहा.मेरी माँ तो रोने लगी। वो हाथ जोड़कर मुझे स्कूल से ना निकालने की बात करने लगी। मैं तो अपने काम पर बड़ा शर्मिंदा था। तभी वहां वंदना मैडम आ गयी और मुझे बचा लिया। सर, बच्चे तो किशोर अवस्था में ऐसा करते ही है क्योंकि उनके शरीर में हार्मोन बनते है। आगे से संचित ऐसा नही करेगा!!वंदना मैडम ने प्रिन्सिपल से कहा और उस दिन मुझे बचा लिया। अब तो मैं उनका और भक्त हो गया। अब दिन रात मैं उनको याद
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भारत की गर्म चूसने वाली चुसाई
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