मैं अपने बेटे को बहकी निगाहों से देखने लगी। मैंने और भी ज्यादा पैर फैला दी। और गांड हौले हौले उठाने लगी और मदद करने लगी उसको चोदने में। दोस्तों थोड़े देर में ही मैं पागल हो गयी।उसको इशारा की मेरा दूध पि मेरी चूचियां चाट, उसने तुरंत भी मेरी चूचियों को मसलने लगा और जोर जोर दबाने लगा फिर वो मेरी चूचियों को मुँह में ले लिया। ऊपर से झटके दे रहा था ऊपर से मेरी चूचियां मसल रहा था। मैं कह रही थी और जोर जोर से और जोर से। वो भी तेज हो गया और जोर जोर से धक्के देने लगा.मैं ह्या ह्या ह्या उफ़ उफ़ उफ़ ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह करने लगी। वो खुद भी पागल होने लगा। अपना दांत पीसकर पीसकर कर मुझे चोद रहा था। उसके बाद मैं खुद ही उसको निचे सुला दी। और मैं खुद चढ़ गयी और जैसे की घोड़े पर बैठता है इंसान वैसे ही मैं अपने बेटे के लंड पर बैठ गयी और वैसे ही हिलने लगी जैसे की कोई घोड़े पर चढ़ कर जाता है।ओह्ह्ह्हह्हह क्या बताऊँ दोस्तों मजा आ गया। बाहर बारिश हो रही थी और अंदर घर में माँ अपने बेटे से चुदवा रही थी। मैं चाह रही थी अपने बेटे को फिर से समेट कर अपने छूट में घुसा लूँ ऐसी मैं पागल हो गयी थी।
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